www की खोज किसने की? www क्या है?

www की खोज किसने की? नमस्कार दोस्तों, स्वागत है आपका हमारी आज की एक और नई पोस्ट में इसमें आजम आपको www के बारे में बताने वाले हैं। दोस्तों आपने यह डब्लू डब्लू कहीं ना कहीं तो सुनाई हो या फिर आपने अगर कोई भी वेबसाइट को ओपन किया है तो आपने वेबसाइट की शुरुआत में www जरूर लिखा देखा होगा। अब यह www होता क्या है इसका प्रमुख काम क्या होता है इसको किसने बनाया था इसकी शुरुआत कैसे हुई थी यह सारी जानकारी आज हम आपको इस पोस्ट में देंगे। तो आप से निवेदन है आप हमारी पोस्ट को आखिर तक पड़े क्योंकि आज की इस पोस्ट को अगर आप आखिर तक पढ़ते हैं तो आपकी बहुत ही ज्यादा ज्ञान में वृद्धि होने वाली है। तो चलिए सबसे पहले चार लेते हैं www आखिर में है क्या।

www क्या है?

www का पूरा नाम वर्ल्ड वाइड वेब है। इसको शॉर्ट फॉर्म में www लिखा जाता है। इसको w3 और the Web भी कहा जाता है। इसका प्रमुख के उद्देश्य पूरी दुनिया की जानकारी को एक साथ इकट्ठा कर और उनको आसानी से प्राप्त किए जाने के रूप में बनाए जाने में था। जिसकी सहायता से कोई भी व्यक्ति उस जानकारी को अपने कंप्यूटर में इंटरनेट की सहायता से देख सकता है। बहुत सारे लोग यह गलती करते हैं कि www को इंटरनेट का दूसरा नाम ही कह देते हैं लेकिन यह बिल्कुल गलत है यह एक सर्विस है जो इंटरनेट के कारण चलती है जैसे कि ईमेल। 

www की खोज किसने की?

  • www की खोज टीम बर्नर्स ली ने 1989 में CERN भी काम करते वक्त की थी। इसमें वह हाइपरलिंकिंग के कंसेप्ट को पढ़ रहे थे। उन्होंने अपना पहला वेब सर्वर बनाया और उन्होंने अपनी पहला वेबसाइट और अपना पहला व्यापक ब्राउज़र 1990 में तैयार कर लिया था। फिर 1993 में उन्होंने जब सोर्स कोड को पब्लिक किया तो बहुत सारे अन्य वेब ब्राउज़र भी आ गए। 
  • यह www 1994 में बहुत ही आमतौर पर यूज किया जाने लगा। 1995 में ऐसे बहुत सारे प्रतिबंधों को हटा दिया क्या था जो कमर्शियल इस्तेमाल करने पर प्रतिबंधित थी। शुरुआत में दो वेब ब्राउज़र में बहुत ही ज्यादा कंपटीशन देखने को मिल रहा था जो नेटस्कैप नेविगेटर और दूसरा बहुत ही मशहूर ब्राउज़र जिसे आपने भी कभी न कभी इस्तेमाल किया होगा इंटरनेट एक्सप्लोरर। उसके बाद जब डब्लू डब्ल्यू डब्ल्यू का उद्योगी कर किया क्या तो डॉट कॉम बहुत ही विशाल रूप से 1990 के अंत और 2000 के शुरुआत में फैल गया।
  • इनके अलावा 1990 के दौरान एचटीएमएल लैंग्वेज भी बहुत बढ़ रही थी जिन्होंने आगे जाकर css और जावास्क्रिप्ट को बढ़ावा दिया। 2000 के शुरुआत में AJAX जैसी वेब डेवलपमेंट टेक्निक ने बहुत सारे वेबपेजेस को अपनी वेबसाइट पर बहुत प्रकार का कंटेंट देने में सहायता प्रदान करें। जिसे उस समय Web 2.0 . का नाम दिया क्या। 

टीम बर्नर्स ली कौन हैं?

  • यह एक ब्रिटिश वैज्ञानिक है किसका जन्म इंग्लैंड के लंदन में 8 जून 1955 में हुआ था। उनका बचपन से ही में जानकारी प्राप्त करना चाहते थे। उसके माता-पिता दोनों गणितीय थे जिसके कारण उनके घर में अध्ययन को लेकर काफी अच्छा वातावरण बना रहता था।
  • उन्होंने क्वींस कॉलेज और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में अपनी पढ़ाई पूरी करें और विज्ञान के छात्र होने के कारण उन्होंने क्षेत्र में , आगे बढ़ने के लिए फिजिक्स की डिग्री प्राप्त करें।
  • एक बार अपने दोस्त के साथ चैटिंग करते हुए पकड़ा गया था तो इनके विश्वविद्यालय ने इनको कंप्यूटर का इस्तेमाल करने से ही मना कर दिया इसके वजह से घर पर बैठकर अपना ही कंप्यूटर बना दिया।

Function Of WWW 

हालांकि इंटरनेट फॉर वर्ल्ड वाइड वेब दो ऐसे शब्द है , जिन्हें बिना किसी वेद को इस्तेमाल किया जाता है लेकिन हम आपको बता दें यह दोनों शब्द वास्तव में अलग है और इनका मतलब भी एक जैसा नहीं है। इंटरनेट एक पूरी दुनिया का ऐसा सिस्टम है जिसके जरिए सारे कंप्यूटर एक दूसरे के साथ इंटरकनेक्टेड होते हैं और वे अपनी कम्युनिकेशंस करते हैं। और वही वर्ल्ड वाइड वेब 1 ग्लोबल कलेक्शन है जिसमें दस्तावेज और अन्य प्रकार के और स्त्रोत शामिल होते हैं जो हाइपरलिंक और लिंक के द्वारा आपस में जुड़े होते हैं। जो भी वेब रिसोर्सेज होते हैं उन्हें एचटीटीपी एचटीटीपीएस का उपयोग करके उपयोग में लाया जाता है जिनके लिए वह इंटरनेट के अलग-अलग प्रकार के प्रोटोकॉल्स का इस्तेमाल करते हैं। 

अगर आपको ए वेब पेज खोलना चाहते हैं तो उसकी शुरुआत होगी आमतौर पर w.w.w. से ही होती है जिसके बाद आगे उसे एक अलग लिंक के साथ हाइपरलिंक किया होता है। उस समय के वेब ब्राउजर इस प्रक्रिया को शुरू करने के लिए बहुत से प्रकार के बैकग्राउंड कम्युनिकेशंस को शुरू करते थे और आप की डिस्प्ले पर वह सभी कम्युनिकेशन आते जाते रहते थे। 1990 में जब कोई व्यक्ति ब्राउज़र की सहायता से व्यापक भेजे उसको देखता था या फिर एक वेब पेज से दूसरे कर्म पेज पर जाता था तो उनके बीच में एक हाइपरलिंक बन जाता था जिसे ब्राउजिंग या फिर वेब सर्फिंग भी कहते थे। 

WWW prefix

किसी भी एक वेब सर्वर कहो उसने ज्यादातर www होता है इस तरह से एफटीपी सर्वर का एफटीपी हो सकता है। यह होस्ट नेम डोमेन नेम सिस्टम यानी डी एन एस के रूप में दिखाई देता है जैसे कि www.example.com । दुनिया का पहला वेब सर्वर , nxoc01.cern.ch । इनके अलावा आप अलग-अलग प्रकार के सब्डोमेन भी बना सकते हैं , किस की सहायता से आप मुख्य रूप से अपनी वेबसाइट पर आने वाले लोड को कम कर सकते हैं इसके लिए आप अब अलग-अलग प्रकार के सीने बना सकते है।

अगर कोई ग्राहक या फिर इस्तेमाल करने वाला यूज़र किसी भी वेबसाइट का नाम अधूरा करता है तो बहुत सारे ब्राउज़र उस नाम के शुरुआत में www लगा देते हैं या फिर अंत में हो सके तो डॉट कॉम या फिर डॉट नेट भी लगा देते हैं।

उदाहरण के लिए अगर आप किसी भी ब्राउज़र में गूगल लिखते हैं तो बहुत ही ज्यादा चांस इसलिए होते हैं कि वह ब्राउज़र खुद ही www.google.com लिख कर आपको आगे बढ़ा दे। यह फीचर सबसे पहले फायर फॉक्स नामक ब्राउज़र में इस्तेमाल किया गया था जो 2003 में शुरू किया गया था। 2008 में यूएस ने इस आइडिया को पेटेंट करवा लिया था j7 मोबाइल फोन नहीं इस्तेमाल कर सकते थे।

Pages

Web Pages -: यह एक प्रकार का दस्तावेज होता है जो आपके वेब ब्राउजर्स में दिखाया जाता है जो आप अपने मोबाइल फोन या फिर मॉनिटर में खोलते हैं।

Static Web Pages -: यह एक प्रकार का स्टेज पेज होता है जिस में जो भी जानकारी यूजर को दी जाती है वह बिल्कुल डायनेमिक वेब पेजेस के जरिए प्रदान करी जाती है जो आपको एक वेब एप्लीकेशन के जरिए मिल जाती है। वेब पेजेस सभी यूजर्स को एक प्रकार की जानकारी है देते हैं चाहे यूजर कैसा भी हो और कैसे भी कांटेक्ट से बिलॉन्ग करता।

Dynamic Web Page -: यह एक प्रकार का वेबपेज है जो किसी एप्लीकेशन सर्वर के द्वारा कंट्रोल किया जाता है जिसमें अलग-अलग प्रकार की स्क्रिप्टिंग करी होती है और यह स्क्रिप्टिंग के आधार पर ही के निर्णय लिया जाता है कि वेब पेज आगे क्या करेगा।

के मुख्य रूप से जावास्क्रिप्ट का इस्तेमाल करता है जो आपके ब्राउज़र्स में चलती है जावास्क्रिप्ट प्रोग्राम आपके दस्तावेजों को दस्तावेजों के मॉडल के रूप में इंटरेक्ट कर सकता है और वह दस्तावेज को हम अपडेट या फिर बदल भी सकते हैं। 

अगर डायनेमिक वेब पेज रीलोड भी हो जाता है तो वह जानकारी कुछ बदलावों के साथ उसको दोबारा देखने को मिल जाती है। ऐसी पर मैं हिस्ट्री पर जाकर पुराना भी देख सकता है। अजाक्स टेक्नोलॉजी के द्वारा बनाया गया पहला ब्राउज़र में केवल सिंगल पेज देखने की फैसिलिटी दी जाती थी।

तो दोस्तों आशा करते हैं आपको यह पता लग गया होगा कि www क्या है? इसकी शुरुआत कैसे करी गई थी इसको कैसे बनाया गया था इसका मालिक कौन है यह सारी जानकारी आज की इस पोस्ट में अपने आप को पहुंचाने का पर्यटन किया है। अगर आपको हमारी क्या जानकारी अच्छी लगती है या फिर आपको कोई भी सवाल है तो आप हमें नीचे कमेंट में पूछ सकते हैं और वही अगर आप यह चाहते हैं कि यह पोस्ट आपके दोस्तों तक भी पहुंच जाए तो आप इस पोस्ट को शेयर कर सकते हैं। हम आपसे ऐसे ही और पोस्ट में मिलेंगे और जानकारी के साथ तब तक के लिए हमें आज्ञा दीजिए।

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