शीलम परम भूषणम | sheelam param bhushanam

दोस्तों संस्कृत के इस शब्द शीलम परम भूषणम (sheelam param bhushanam) के बारे में जानने के लिए आपको हमारे साथ में बने रहना होगा। क्या कभी आपने शीलम परम भूषणम (sheelam param bhushanam) के हिंदी अर्थ के बारे में जानने की कोशिश की है, यदि नहीं तो आपको शीलम परम भूषणम (sheelam param bhushanam) के बारे में जानना चाहिए। आपने कई बार देखा होगा। परीक्षा में संस्कृत के इस श्लोक के बारे में जरूर पूछा जाता है। लेकिन हमारे भारत देश में ऐसे बहुत सारे Student है। जिनको शीलम परम भूषणम (sheelam param bhushanam) के बारे में पता नहीं होता है। तो चलिए अब हम जानने की कोशिश करते है।

शीलम परम भूषणम (sheelam param bhushanam)

शीलम परम भूषणम अर्थात शील ही सबसे बड़ा आभूषण होता है। शीलम परम भूषणम (sheelam param bhushanam) का हिंदी अर्थ होता है, की मनुष्य का आचरण, उसका व्यवहार, उसका उसका चरित्र ही सबसे बड़ा धन होता है। संत कबीर जी के अनुसार सुख का सागर शील होता है। एक व्यक्ति सब कुछ सह लेता है, लेकिन अपने मान सम्मान का पतन होते हुए कभी नहीं देख सकता। वही अगर हम जानकारों की माने तो उनके अनुसार पंचतंत्र में लिखा गया है :-

  • विभुषणं शीलसमं न चांयत – शील के सामान कोई और आभूषण नहीं है।

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सहनशीलता जरूरी है

दोस्तों जिस व्यक्ति की बातो में मधुरता अर्थात जिसकी वाणी सुन्दर और कोमल होती है, साथ ही जो सहनशील रखने वाला व्यक्ति है, वह व्यक्ति अपने जीवन में कभी नहीं हारता है। मनुष्य को सहनशीलता होना चाहिए। एक सहनशील व्यक्ति अपने घर, परिवार, व्यापर, समाज आदि सभी में अपने आप को परिपक्व पाता है। जानकारों की माने तो ऐसा बताया जाता है, की महिला में पुरुष के मुकाबले ज्यादा सहनशीलता होती है। और यही कारण है, की आज भी हमारे भारत देश में न जाने ऐसी कई सारी महिलाये है, जो पुरुषो के लिए अपना यस, गौरव, मान सम्मान, आदि सभी चीज़ो से पुरुषो के मान सम्मान को ऊँचा रखने के लिए हमेशा तत्पर रहती है।

दोस्तों आपको शीलम परम भूषणम (sheelam param bhushanam) के बारे में जानकारी मिल गयी होगी। यदि आपको हमारी यह जानकारी अच्छी लगी हो, तो आप हमें Comment करके बताये। साथ ही अपने मित्रो के साथ हमारी यह जानकारी शीलम परम भूषणम (sheelam param bhushanam) के इस ब्लॉग को Whatsapp, Facebook पर Share करे।

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