वाक्य के कितने भेद होते हैं? | Vakya ke kitne bhed hote hain

नमस्कार आज हम बात करने वाले है, वाक्य के बारे में आपको हम आज वाक्य के कितने भेद होते हैं (vakya ke kitne bhed hote hain) के बारे में जानकारी देने वाले है। साथ ही कुछ और भी जरूरी जानकारी वाक्य के बारे में जैसे – वाक्य की परिभाषा के बारे में, वाक्य के अंगो के बारे में, जानकारी देने के साथ ही कुछ जरूरी जानकारी आपको इस ब्लॉग वाक्य के कितने भेद होते हैं (vakya ke kitne bhed hote hain) में आपको हम देने वाले है।

Vakya ke kitne bhed hote hain
Vakya ke kitne bhed hote hain

वाक्य के कितने भेद होते हैं (vakya ke kitne bhed hote hain) के बारे में परीक्षाओ में बहुत बार पूछा जाता है, Student को पूरी जानकारी नहीं होने के कारण बहुत सारे Student वाक्य के कितने भेद होते हैं (Vakya ke kitne bhed hote hain) के बारे में अच्छे से लिख नहीं पाते है, इसलिए हम आपको आज के इस ब्लॉग वाक्य के कितने भेद होते हैं (vakya ke kitne bhed hote hain) में सारी जानकारी देने वाले है। यदि आप चाहते है, की आपको वाक्य के कितने भेद होते हैं (vakya ke kitne bhed hote hain) के इस ब्लॉग में दी जाने वाली सारी जानकारी प्राप्त हो, तो आप हमारे साथ में बने रहिये।

वाक्य की परिभाषा

ऐसे दो या दो से अधिक शब्दों के सार्थक समूह जिससे सम्पूर्ण अर्थ प्रकट होता है, उसको वाक्य कहा जाता है। वाक्य दो या दो से अधिक शब्दों से मिलकर बनता है, जैसा की आपको निचे दिखाई दे रहा है :-

  • राम खेलता है।
  • सत्य कड़वा होता है।

सरल शब्दों में यह कहा जा सकता है, की ऐसे शब्द जिसका व्यवस्थित रूप से मनुष्य अपने विचारो का आदान – प्रदान करता है, तो ऐसे शब्दों को वाक्य कहा जाता है। अब आप सोच रहे होंगे की वाक्य के कितने भेद होते हैं (vakya ke kitne bhed hote hain) तो हमने इसके बारे में निचे बताया हुआ है।

वाक्य के कितने भेद होते हैं (vakya ke kitne bhed hote hain)

अर्थ के आधार पर वाक्य के 8 भेद होते हैं। जिनके बारे में हमने निचे बताया हुआ है :-

  • विधान वाचक वाक्य
  • निषेध वाचक वाक्य
  • प्रश्नवाचक वाक्य
  • विस्म्यादिवाचक वाक्य
  • आज्ञावाचक वाक्य
  • इच्छावाचक वाक्य
  • संकेतवाचक वाक्य
  • संदेहवाचक वाक्य

विधान वाचक वाक्य

वह वाक्य जिसमे किसी भी प्रकार की जानकारी प्राप्त होती है, विधानवाचक वाक्य कहलाता है। विधान वाचक वाक्य में किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, नाम या क्रिया के होने का बोध होता है। विधानवाचक वाक्य के उदाहरण इस प्रकार है :-

  • भारत एक देश है।
  • दिसम्बर में ठंड रहती है।
  • मार्च में गर्मी अधिक रहती है।

निषेध वाचक वाक्य

ऐसे वाक्य जिनमे किसी कार्य के होने का बोध नहीं होता है, तो ऐसे वाक्यों को निषेध वाचक वाक्य कहा जाता है, इन वाक्यों को नकारात्मक वाक्य भी कहा जाता है, इसके उदाहरण कुछ इस प्रकार है :-

  • आज गणित की Class नहीं लगेगी।
  • में आज खाना नहीं खाऊंगा।
  • में रोहित के पास नहीं जाऊंगा।

प्रश्नवाचक वाक्य

जिन वाक्यों में किसी प्रकार का प्रश्न पूछे जाने का बोध होता है, तो ऐसे वाक्य को हम प्रश्नवाचक वाक्य कहते है। प्रश्नवाचक वाक्य के उदाहरण कुछ इस प्रकार है :-

  • तुम्हारा नाम क्या है।
  • रोहित तुम्हारा हॉस्पिटल कहां है।
  • मनोज तुम्हारा घर कहां है।
  • तुम कौन से School में पढ़ते हो।
  • कृष्ण के पिता कौन थे।

विस्म्यादिवाचक वाक्य

विस्म्यादिवाचक वाक्य को विस्मयावादी वाक्य भी कहा जाता है, ऐसे वाक्य जिनसे किसी शोक, हर्ष, घृणा, आदि का भाव व्यक्ति होता हो, तो ऐसे वाक्यों को विस्मय वाचक वाक्य कहा जाता है। इसके उदाहरण कुछ इस प्रकार है :-

  • वाह क्या खूब बारिश हुई.
  • अरे तुम वहां थे।
  • काश में भी गया होता।
  • ओह कितना सुन्दर आसमान है।

आज्ञावाचक वाक्य

ऐसे वाक्य जिनसे आज्ञा, अनुमति, का बोध होता हो, तो ऐसे वाक्यों को हम आज्ञावाचक वाक्य कहते हैं। आज्ञावाचक वाक्य के उदाहरण कुछ इस प्रकार है :-

  • आप अपना काम कीजिये।
  • आप चुप रहिये।
  • तुम अपना काम करो।

इच्छावाचक वाक्य

ऐसे वाक्य जिनमे किसी इच्छा, आशीर्वाद का बोध होता है, ऐसे वाक्यों को हम इच्छावाचक वाक्य कहते है। इच्छावाचक वाक्य के उदाहरण कुछ इस प्रकार है :-

  • दूधो नहाओ, फूलो फलो।
  • नववर्ष मंगलमय हो।

संकेतवाचक वाक्य

संकेत वाचक वाक्य उन वाक्यों को कहा जाता है, जिनमे हमें एक क्रिया का दूसरी क्रिया पर निर्भर होने का बोध होता है, ऐसे वाक्यों को हम संकेतवाचक वाक्य कहते है। संकेतवाचक वाक्य के उदाहरण कुछ इस प्रकार है :-

  • निशा उधर रहती है।
  • टीना उधर रहती है।
  • सुशिल की दुकान इधर है।
  • मनीष का घर उधर है।
  • मनोज की गाड़ी उधर है।

संदेहवाचक वाक्य

संदेहवाचक वाक्य, वाक्य का सबसे लास्ट वाला भेद होता है। ऐसे वाक्य जिनमे संदेह होने का बोध होता है, संदेह वाचक वाक्य कहलाते है। संदेहवाचक वाक्य के उदाहरण कुछ इस प्रकार होते है :-

  • क्या उसने खाना खा लिया।
  • क्या वह यहाँ से गया।
  • क्या उसने मुझे अच्छा कहा।
  • क्या उसने पैसे दे दिए।

रचना के आधार पर वाक्य के कितने भेद होते हैं (rachna ke aadhar par vakya ke kitne bhed hote hain)

हमने आपको ऊपर अर्थ के आधार पर वाक्य के भेद के बारे में जानकारी बताई है, चलिए अब हम आपको रचना के आधार पर वाक्य के भेद के बारे में जानकारी देते हैं।

रचना के आधार पर वाक्य के 3 भेद होते है :-

  • साधारण वाक्य।
  • संयुक्त वाक्य।
  • मिश्रित वाक्य।

वाक्य के अंग

हमने आपको ऊपर वाक्य के कितने भेद होते हैं (vakya ke kitne bhed hote hain) के बारे में जानकारी बताई है, चलिए अब हम आपको वाक्य के अंगो के बारे में जानकारी बताते है, वाक्य के दो अंग होते है, जिनके बारे में हमने निचे बताया हुआ है :-

  • उद्देश्य
  • विधेय

उद्देश्य

वाक्य में कर्ता जो कार्य कर रहा है, उसको उदेश्य कहा जाता है। साथी ही आपको हम बता दे की इसमें कर्ता का विशेषण विस्तारक हो, तो उसे भी हम उद्देश्य की श्रेणी में ही रखेंगे। इसका एक अच्छा सा उदाहरण कुछ इस प्रकार है :-

  • मेरा Friend बहुत अच्छा सिंगर है।
  • मेरी बहन राधा बहुत ही सुन्दर लिखती है।

विधेय

वाक्य के कितने भेद होते हैं (vakya ke kitne bhed hote hain) में आपको हम बता दे की वाक्य का दूसरा अंग विधेय होता है। विधेय को हम यह कह सकता है, की उदेश्य के बारे में जो भी कथन कहा जाता है, उसको हम विधेय कहते है। सरल शब्दों में यह कह सकते है, की कर्ता जो भी कार्य कर रहा है, वह विधेय है।

यह भी पढ़े :-

Conclusion

हमने आपको आज के इस ब्लॉग वाक्य के कितने भेद होते हैं (vakya ke kitne bhed hote hain) में सारी जरूरी जानकारी बताई है, जैसे – वाक्य की परिभाषा के बारे में, वाक्य के अंगो के बारे में, और भी बहुत सारी जानकारी आपको इस ब्लॉग वाक्य के कितने भेद होते हैं (vakya ke kitne bhed hote hain) में बताई है। यदि आपने हमारे ब्लॉग वाक्य के कितने भेद होते हैं (vakya ke kitne bhed hote hain) को अच्छे से पढ़ा होगा, तो आपको हमरे ब्लॉग वाक्य के कितने भेद होते हैं (vakya ke kitne bhed hote hain) में दी जाने वाली सारी जानकारी के बारे में पता चल गया होगा।

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