वेदों की संख्या कितनी है | vedon ki sankhya kitni hai

वेदों में हिन्दू धर्म को सबसे ऊपर माना गया है। क्या आप वेदों की संख्या कितनी है (vedon ki sankhya kitni hai) के बारे में जानकारी जानना चाहते है, यदि हां, तो आप सही जगह पर आये है, क्योकि आज हम वेद कितने प्रकार के होते है। अर्थवेद किसे कहते है। सबसे प्राचीन वेद कौन सा है, और भी बहुत सारी जानकारी आपको हम आज के इस ब्लॉग वेदों की संख्या कितनी है (vedon ki sankhya kitni hai) में देने वाले है।

वेदों के बारे में बैंक, पोस्ट ऑफिस, रेलवे आदि प्रतियोगी परीक्षाओ में पूछा जाता है। जब भी परीक्षा में वेदों की संख्या कितनी है (vedon ki sankhya kitni hai) में पूछा जाता है, तो ऐसे में बहुत सारे Student को वेद के बारे में जानकारी नहीं होने के कारण बहुत सारे Student  परीक्षा में वेद के बारे में जानकारी नहीं लिख पाते है। यदि आप चाहते है, की आपको वेदों के बारे में हर तरह की जानकारी प्राप्त हो, तो आप हमारे साथ में बने रहिये। तो चलिए अब हम बिना किसी देरी के ब्लॉग वेदों की संख्या कितनी है (vedon ki sankhya kitni hai) को शुरू करते है।

वेद के बारे में

वेद को प्राचीन काल में वेदवेत्ता कहा जाता था। वेदों की रचना ब्रम्हा ने की है। ब्रम्हा को सृस्टि के रचियता भी कहा जाता है। जानकारों के अनुसार ऐसा बताया जाता है, की हमारी सृस्टि के रचियता ब्रम्हा जी है। वेद को यदि हम विश्व के हिसाब से देखे तो आपको हम बता दे की वेद विश्व की सबसे प्राचीन साहित्य कहा जाता है। वेद को संस्कृत में विद कहा जाता है।

जानकारों के अनुसार वेद का शाब्दिक अर्थ ज्ञान से होता है। अब आप सोच रहे होंगे की वेदों की संख्या कितनी है (vedon ki sankhya kitni hai) तो आप हमारे साथ में बने रहिये। वेद को यदि हम सरल भाषा में समझे तो आप देखेंगे की वेद शब्द ”विद” से बना हुआ है। जिसका अर्थ ”जानना” होता है।

वेदों की संख्या कितनी है (vedon ki sankhya kitni hai)

वेदों की संख्या चार है। जिसके बारे में हमने निचे बताया हुआ है :-

  • ऋग्वेद
  • सामवेद
  • यजुर्वेद
  • अथर्ववेद

ऋग्वेद

ऋग्वेद को दुनिया का सबसे प्रथम ग्रन्थ माना गया है। ऋग्वेद में राजनैतिक प्रणाली और इतिहास के बारे में जानकारी होती है। ऋग्वेद का सबसे पहला वेद पद्यात्मक माना जाता है। ऋग्वेद को एक ज्ञान भी माना जाता है, इसके लिए किसी ने कहा है, की ऋग्वेद एक ऐसा ज्ञान होता है। जो एक ऋचाओं के लिए कामयाबी हो। ऋग्वेद के बारे में कुछ जरूरी जानकारी इस प्रकार है :-

  • ऋग्वेद में 1028 सूक्त होते है।
  • वेदव्यास को ऋग्वेद के रचनाकार माना गया है।
  • ऋग्वेद को सबसे बड़ा वेद माना गया है।
  • ऋग्वेद में तीसरे मंडल में गायत्री मंत्र है।
  • ऋग्वेद का सातवा मंडल सोम को समर्पित है।
  • ऋग्वेद की 21 शाखाये मानी गयी है।
  • ऋग्वेद के ऋषि का नाम भारद्वाज है।

सामवेद

सामवेद को मंत्र के नाम से जाना जाता है। सामवेद में 99 मंत्र होते है। सामवेद को संगीत प्रधना भी कहा जाता है। सामवेद का आकर ऋग्वेद, यजुर्वेद, अर्थवेद, इन सभी की दृष्टि से इस वेद का आकर छोटा होता है। लेकिन आपको यह जानकार बहुत हैरानी होगी की सामवेद की प्रतिष्ठा सर्वाधिक है। ऐसे बहुत सारे लोग है, जिनको वेदों की संख्या कितनी है (vedon ki sankhya kitni hai) के बारे में तो जानकारी होती है, लेकिन उनको सामवेद के देवता कौन है, इसके बारे में जानकारी नहीं होती है। दोस्तों हम आपको बता दे बहुत सारे है, जिनमे से कुछ नाम इस प्रकार है।

  • अग्नि
  • विश्वदेवा
  • सविता
  • अदिति
  • इन्द्राग्नि
  • सूर्य।

यजुर्वेद

दोस्तों यजुर्वेद के बारे में तो आपको पता ही होगा। यदि आपको यजुर्वेद के बारे में जानकारी है, तो अच्छी बात है, लेकिन यदि आपको यजुर्वेद के बारे में जानकारी नहीं है, तो हम आपको यजुर्वेद के बारे में बताते है। यजुर्वेद को हिन्दू धर्म में सबसे ऊपर माना जाता है। यजुर्वेद मुख्य रूप से एक गद्यात्मक ग्रन्थ होता है। अब आप सोच रहे होंगे की गद्यात्मक किसे कहा जाता है। तो आपको हम बता दे की गद्यात्मक एक मंत्र होता है, जिसका प्रयोग यज्ञ करने के लिए किया जाता है। यजुर्वेद के बारे में जानकारी इस प्रकार है :-

  • याग्वल्क्य को यजुर्वेद के आचार्य माना जाता है।
  • यजुर्वेद की संहिता में 40 अध्याय है।
  • यजुर्वेद एक गद्यात्मक है।
  • यजुर्वेद में यज्ञो और हवनो का विधान माना गया है।
  • यजुर्वेद मन की शुद्धि करता है।

अथर्ववेद

दोस्तों अर्थर्ववेद में 20 कांड होते है। अथर्ववेद में शिव को पशुपति, भूपति, भाव आदि नामो से जाना जाता है। अथर्ववेद की यदि हम रचना की बात करे तो आपको हम बता दे की अथर्ववेद को अथर्वांगिरस भी कहा जाता है। जानकारों के अनुसार अथर्ववेद को ब्रम्ह्वेद के नाम से भी जाना जाता है। अर्थर्वेद के बारे में जरूरी जानकारी इस प्रकार है :-

  • महर्षि अंगिरा के द्वारा अथर्ववेद की रचना हुई है।
  • वैदिक धर्म की दृष्टि से अथर्ववेद का बड़ा ही महत्त्व माना गया है।

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Conclusion

हमने आपको आज के इस ब्लॉग वेदों की संख्या कितनी है (vedon ki sankhya kitni hai) में वेदों के बारे में जानकारी बताई है। हमने आपको बताया की वेद कितने प्रकार के होते है। सबसे बड़ा वेद कौन सा है। सबसे छोटा वेद कौन सा है। और भी बहुत सारी जानकारी आपको इस ब्लॉग वेदों की संख्या कितनी है (vedon ki sankhya kitni hai) में बताई है। यदि आपने हमारे ब्लॉग को अच्छे से पढ़ा होगा। तो आपको हमारे इस ब्लॉग वेदों की संख्या कितनी है (vedon ki sankhya kitni hai) में सारी जानकारी प्राप्त हो चुकी होगी।

आशा करते है, की आपको हमारा यह ब्लॉग वेदों की संख्या कितनी है (vedon ki sankhya kitni hai) पसंद आया होगा। यदि आपको हमारा यह ब्लॉग वेदों की संख्या कितनी है (vedon ki sankhya kitni hai) पसंद आया हो, तो आप हमें Comment करे। साथ ही अपने दोस्तों को आप हमारा यह ब्लॉग Whatsapp, Facebook पर Share करे। जिससे अपने दोस्तों को भी वेदों की संख्या कितनी है (vedon ki sankhya kitni hai) के बारे में जानकारी प्राप्त हो सके।

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