अलंकार के बारे में आपको इस ब्लॉग अलंकार के कितने भेद होते हैं (alankar ke kitne bhed hote hain) में सारी जानकारी देने वाले है। अलंकार की परिभाषा के बारे में, अलंकार शब्द का शाब्दिक अर्थ क्या होता है, इसके बारे में और भी बहुत सारी जानकारी आपको इस ब्लॉग अलंकार के कितने भेद होते हैं (alankar ke kitne bhed hote hain) में हम देने वाले है, यदि आप चाहते है, की आपको अलंकार के बारे में पूरी – पूरी जानकारी प्राप्त हो, तो आप हमारे साथ में बने रहिये।
आपने देखा होगा, अलंकार के बारे में बहुत बार परीक्षाओ में पूछा जाता है, अलंकार के कितने भेद होते हैं (alankar ke kitne bhed hote hain) के बारे में जानकारी रखने के साथ ही आपको अलंकार से जुडी हुई सारी जरूरी जानकारी के बारे में पता होना चाहिए। हमने आज के इस ब्लॉग अलंकार के कितने भेद होते हैं (alankar ke kitne bhed hote hain) में सारी जानकारी अलंकार के बारे में बताई है, आप हमारे ब्लॉग को अच्छे से पढ़ कर जानकारी प्राप्त कर सकते है।
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अलंकार की परिभाषा
अलंकार काव्य की सुंदरता को बढ़ाने वाला एक यन्त्र होता है। अलंकार को यदि हम सरल शब्दों में समझे तो जिस प्रकार से एक स्त्री की शोभा आभूषण से होती है, ठीक उसी प्रकार से काव्य की शोभा अलंकार से होती है। जानकारों की यदि हम माने तो उनका कहना है, की अलंकार एक शोभा बढ़ने वाला यन्त्र होता है। अलंकार दो शब्दों के योग से बना हुआ है।
जिसमे पहला शब्द अलम और दूसरा शब्द कार होता है। इस प्रकार से हम अलम + कार इसमें अलम का अर्थ आभूषण से होता है। अलंकार का शाब्दिक अर्थ आभूषण से होता है, इस प्रकार यह कहा जा सकता है, की नारी की शोभा बढ़ने के लिए जिस आभुषणो को लाया जाता उसी प्रकार से अलंकार में काव्य की शोभा अलंकार से होती है।
अलंकार के कितने भेद होते हैं (Alankar ke kitne bhed hote hain)
अलंकार के तीन भेद होते है। जिनके बारे में हमने निचे कुछ पॉइंट के माध्यम से बताया हुआ है :-
- शब्दालंकार
- अर्थालंकार
- उभयालंकार
शब्दालंकार
शब्दालंकार उस अलंकार को कहा जाता है, जहां शब्दों के प्रयोग से सौन्दर्य में वृद्धि होती है, और काव्य में चमत्कार आता है, तो ऐसे अलंकार को हम शब्दालंकार कहते है। शब्दालंकार के 3 प्रकार होते है, जिनके बारे में हमने निचे बताया हुआ है :-
- अनुप्रास अलंकार
- यमक अलंकार
- श्लेष अलंकार
अनुप्रास अलंकार
जहां पर वर्णो की आवृत्ति बार – बार होती है, वह अनुप्रास अलंकार होता है, इसका सीधा सा उदाहरण हमने निचे बताया हुआ है :-
- ”म” वर्ण की और ”स” वर्ण की आवृत्ति तीन -तीन बार हुई है
यमक अलंकार
जिस प्रकार से हम देख सकते है, की अनुप्रास अलंकार में किसी एक वर्ण की आवृति होती है, इसी प्रकार यमक अलंकार किसी काव्य का सौन्दर्य बढ़ने के लिए एक ही शब्द की आवृत्ति बार – बार होती है। इसका उदाहरण कुछ इस प्रकार है :-
- माला फेरत जग भय फिरा न मन का फेर कर का मनका डारि दै, मन का मनका फेर।
अब आपको इस शब्द में बिलकुल ही सरल तरीके से दिखाई दे रहा होगा की इसमें ”मनका” शब्द का दो बार प्रयोग किया गया है।
श्लेष अलंकार
जहाँ पर कोई शब्द एक ही बार प्रयुक्त होता है, वहां पर श्लेष अलंकार होता है। श्लेष अलंकार में एक ही शब्द के अनेक अर्थ निकलते है। उदाहरण के लिए :-
- रहिमन पानी रखिये बिन पानी सब सुन पानी गए न उभरे मोई मानस चुन
अर्थालंकार
जब किसी वाक्य में किसी भाषा का प्रयोग इस प्रकर से किया जाता है, की उसमे अर्थ के कारण चमत्कार उत्पन्न होता है, तो ऐसे अलंकार को हम अर्थालंकार कहते है। अर्थालंकार के मुख्य रूप से पांच भेद होते है :-
- उपमा अलंकार
- रूपक अलंकार
- अतिश्योक्ति अलंकार
- उत्प्रेक्षा अलंकार
- मानवीकरण अलंकार
उभयालंकार
ऐसे अलंकार जिनमे शब्दालंकार और अर्थालंकार दोनों ही सम्मिलित होते है, ऐसे अलंकार को उभयालंकार कहा जाता है। ये अलंकार ऐसे अलंकार होते है, जो शब्द और अर्थ दोनों को ही चमत्कारी बनाते है।
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Conclusion
हमने आपको आज के इस ब्लॉग अलंकार के कितने भेद होते हैं (alankar ke kitne bhed hote hain) में अलंकार के बारे में सारी जानकारी जैसे – अलंकार की परिभाषा के बारे में, अर्थालंकार के कितने भेद होते हैं, शब्दालंकार के कितने भेद होते है, ऐसी ही बहुत सारी जानकारी इस ब्लॉग अलंकार के कितने भेद होते हैं (alankar ke kitne bhed hote hain) में आपको हमने इस ब्लॉग में बतायी है। यदि आपने हमारे ब्लॉग को अच्छे से पढ़ा होगा तो निश्चित ही आपको इस ब्लॉग अलंकार के कितने भेद होते हैं (alankar ke kitne bhed hote hain) में अलंकार के बारे में सारी जानकारी पता चल गयी होगी।
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