आज हम मिट्टी कितने प्रकार की होती है (mitti kitne prakar ki hoti hai) के बारे में जानकारी देने वाले है। भारत देश में लगभग 70% किसान है, किसानो को अपनी खेती के लिए मिट्टी की जानकारी रखना जरूरी है, किसी भी फसल का उत्पादन उसकी गुणवत्ता और मिट्टी के ऊपर निर्भर करती है। मिट्टी के बारे में बहुत सारे लोगो को जानकारी नहीं होती है। यदि आप चाहते है, की आपको मिट्टी के बारे में सारी जरूरी जानकारी के बारे में पता चल सके तो आप हमारे साथ में बने रहिये।
दोस्तों आज हम आपको मिट्टी कितने प्रकार की होती है (mitti kitne prakar ki hoti hai) के बारे में जानकारी बताने के साथ ही मिट्टी के बारे में सारी जानकारी जैसे – भारत में पायी जाने वाली मिट्टी कौन – कौन सी है, मिट्टी के प्रकारो के बारे में जानकारी के साथ ही मिट्टी से जुडी हुई हर तरह जी जरूरी जानकारी आपको हम इस ब्लॉग मिट्टी कितने प्रकार की होती है (mitti kitne prakar ki hoti hai) में देने वाले है। तो चलिए अब हम बिना किसी देरी के ब्लॉग को शुरू करते है।
Table of Contents
मिट्टी के बारे में
फसल की पैदावार के लिए मिट्टी बहुत ही जरूरी होती है, बिना मिट्टी के हम किसी भी फसल को नहीं ऊगा सकते है। भारत में मिट्टी के अलग – अलग स्थान होते है, कई स्थानों पर कुछ तरह की मिट्टी पायी जाती है, तो कई स्थानों पर किसी और तरह की मिट्टी पायी जाती है, अब आप सोच रहे होंगे की मिट्टी कितने प्रकार की होती है (mitti kitne prakar ki hoti hai) तो इसके बारे में जानने के लिए आप हमारे साथ में बने रहिये। मिट्टी का रंग अलग – अलग होता है।
कुछ मिट्टी लाल रंग की होती है, तो कुछ मिट्टी सफ़ेद, तो कही स्थानों पर काली मिट्टी पायी जाती है, किन स्थानों पर कौन सी मिट्टी पायी जाती है, इसके बारे में हमने निचे बताया हुआ है। भारत देश में अनेक प्रकार की मिट्टी पायी जाती है। जो आपको इस ब्लॉग मिट्टी कितने प्रकार की होती है (mitti kitne prakar ki hoti hai) में आगे देखने को मिलेगा।
मिट्टी कितने प्रकार की होती है (mitti kitne prakar ki hoti hai)
मिट्टी 8 प्रकार की होती है। भारत में कृषि अनुसन्धान संस्थान के द्वारा मिट्टी को 8 भागो में विभाजित किया गया है। जिनके नाम कुछ इस प्रकार है :-
- काली मिट्टी
- लाल मिट्टी
- लेटेराइट मिट्टी
- पर्वतीय मिट्टी
- काँप मिट्टी
- शुष्क मृदा
- क्षारीय मिट्टी
- जैव मृदा
काली मिट्टी
भारत में हमें काली मिट्टी हर जगह देखने को मिलती है। इस मिट्टी में नाइट्रोजन और पोटास की मात्रा बहुत ही कम होती है। जानकारों की यदि हम माने तो उनका कहना है, की काली मिट्टी को कपास मिट्टी भी कहा जाता है, क्योकि इस मिट्टी में कपास बहुत अच्छी होती है। इस कारण काली मिट्टी को कपास मिट्टी के नाम से जाना जाता है।
काली मिट्टी को सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में देखा जाता है। साथ ही दक्कन के पठान के इलाके में भी काली मिट्टी हमें ज्यादातर देखने को मिलती है। काली मिट्टी को रेगुर भी कहा जाता है। दक्कन के ट्रैप के लावा चट्टानों में इस मिट्टी का होने की वजह से इस मिट्टी को लावा मिट्टी भी कहा जाता है।
लाल मिट्टी
इस मिट्टी का रंग लाल होता है, इस कारन इस मिट्टी को लाल मिट्टी के नाम से जाना जाता है। इस मिट्टी के अंदर लोहा, चुना, और एल्युमिनियम सबसे अधिक मात्रा में पाया जाता है। जानकारों की यदि हम माने तो उनका कहना है, की इस मिट्टी में गेहू, और मोठे अनाज की फसल अच्छी होती है। लाल मिट्टी भारत के मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, झारखण्ड, नागालैंड, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, राजस्थान जैसे राज्यों में अधिक देखने को मिलती है। इस मिट्टी में कितने प्रतिशत रासायनिक पदार्थ होता है, इसके बारे में हमने निचे बताया हुआ है :-
- कार्बन डाईऑक्साइड 0.30%
- सोडा 0.12%
- लोहा 3.61%
- कार्बनिक पदार्थ 0.01%
- फास्फोरस 0.09%
- नाइट्रोजन 0.08%
- पोटास 0.24%
लेटेराइट मिट्टी
जिन स्थानों पर बारिस का मौसम बार – बार आता है, ऐसे स्थानों पर लेटेराइट मिट्टी हमें ज्यादातर देखने को मिलती है। इस मिट्टी में लोहा, पोटास, एल्युमीनियम की मात्रा बहुत ज्यादा होती है। भारत में लेटेराइट मिट्टी अनेक स्थानों पर पायी जाती है, जैसे – तमिलनाडु में, उड़ीसा के पठार में, महाराष्ट्र में, लेटेराइट मिट्टी हमें ज्यादातर देखने को मिलती है। ऐसा बताया जाता है, की लेटेराइट मिट्टी बहुत ही प्राचीन है। इस प्रकार की मिट्टी में शेलो का इस्तेमाल किया जाता है। इस प्रकार की मिट्टी में एल्युमीनियम की मात्रा बहुत ही ज्यादा होती है।
पर्वतीय मिट्टी
पर्वतीय मिट्टी पहाड़ी क्षेत्रो के अंदर पायी जाती है, इस प्रकार की मिट्टी में कंकड़ पत्थर पाए जाते है। पर्वतीय मिट्टी को तीन भागो के अंदर बनता जाता है, जिनके नाम कुछ इस प्रकार है :-
- पथरीली मिट्टी
- आग्नेय मिट्टी
- चूनायुक्त मिट्टी।
काँप मिट्टी
कांप मिटटी को कछारीय मिट्टी भी कहा जाता है, यह एक प्रकार की उपजाऊ मिट्टी होती है, इस कारण इस मिट्टी को सबसे अधिक उपजाऊ मिट्टी माना जाता है। इस प्रकार की मिट्टी नदियों में ज्यादातर पायी जाती है, जैसे – गंगा, यमुना, गंडक, ब्रम्हपुत्र, घागरा, इन सहायक नदियों के द्वारा कांप मिट्टी लायी जाती है।
शुष्क मृदा
अर्धशुष्क जलवायु वाले क्षेत्रों में पायी जाने वाली मिट्टी को शुष्क मृदा मिट्टी कहा जाता है। इस प्रकार की मिट्टी ज्यादातर रेगिस्तान के इलाको में पायी जाती है। जानकारों की यदि हम माने तो उनका कहना है, की धरती का लगभग एक प्रतिशत भाग शुष्क मृदा मिट्टी से ही बना हुआ है।
क्षारीय मिट्टी
इस प्रकार की मिट्टी क्षार और लवण की मात्रा बहुत ही ज्यादा होती है, क्षारीय मिट्टी भूरे श्वेत के रूप में भूमि पर जमा हो, जाता है। इस प्रकार की मिट्टी का शुष्क जलवायु वाले क्षेत्रो में क्षारीय मिट्टी होती है।
जैव मृदा
पृथ्वी के ऊपरी सतह पर मोटे, माध्यम और बारीक़ कार्बनिक के कानो को मृदा मिटटी कहा जाता है। जैव मृदा को दलदली मिट्टी के नाम से भी जाना जाता है। यह मृदा भारत में केरल और पश्चिम बंगाल में ज्यादातर पायी जाती है। इसमें लवण की मात्रा अधिक होती है।
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Conclusion
हमने आपको आज के इस ब्लॉग मिट्टी कितने प्रकार की होती है (mitti kitne prakar ki hoti hai) के बारे में जानकारी बताने के साथ ही मिट्टी के प्रकारो को विस्तार रूप से हमने बताया है, भारत में कोन सी मिट्टी ज्यादातर पायी जाती है, इसके बारे में भी इस ब्लॉग मिट्टी कितने प्रकार की होती है (mitti kitne prakar ki hoti hai) में बताया है। यदि आपने हमारे ब्लॉग मिट्टी कितने प्रकार की होती है (mitti kitne prakar ki hoti hai) को अच्छे से पढ़ा होगा, तो आपको मिट्टी के बारे में साडी जरूरी जानकारी के बारे में जानकारी मिल गयी होगी।
आशा करता हूँ, की आपको हमारा यह ब्लॉग मिट्टी कितने प्रकार की होती है (mitti kitne prakar ki hoti hai) पसंद आया होगा, यदि आपको हमारा यह ब्लॉग मिट्टी कितने प्रकार की होती है (mitti kitne prakar ki hoti hai) अच्छा लगा हो, तो आप हमें Comment करे। साथ ही अपने मित्रो को हमारा यह ब्लॉग मिट्टी कितने प्रकार की होती है (mitti kitne prakar ki hoti hai) को Whatsapp, Facebook पर Share करे।