दोस्तों आज हम बात करने वाले है, वर्ण के बारे आपको हम आज बताएँगे की वर्ण के कितने भेद होते हैं (varn ke kitne bhed hote hain) साथ ही कुछ जरूरी जानकारी वर्ण के बारे में बताने वाले है, जैसे – वर्ण की परिभाषा के बारे में, वर्ण के बारे में ऐसी ही कुछ जरूरी जानकारी वर्ण के बारे में हम आपको इस ब्लॉग वर्ण के कितने भेद होते हैं (varn ke kitne bhed hote hain) में देने वाले है। यदि आप चाहते है, की आपको वर्ण के बारे में सारी जरूरी जानकारी के बारे में पता चले तो आप हमारे साथ में बने रहिये।
वर्ण के कितने भेद होते हैं (varn ke kitne bhed hote hain) का यह Hindi Grammar का प्रश्न बहुत बार परीक्षाओ में पूछा जाता है, सही जानकारी वर्ण के बारे में नहीं होने से बहुत सारे Student परीक्षा में वर्ण के बारे में नहीं लिख पाते है, कुछ Student को वर्ण के बारे में जानकारी तो होती है, लेकिन उनको वर्ण के कितने भेद होते हैं (varn ke kitne bhed hote hain) इसके बारे में जानकारी नहीं होती है, यदि आप चाहते है, की आपको वर्ण के बारे में जरूरी जानकारी प्राप्त हो, तो आप हमारे ब्लॉग को अंत तक पढ़े।
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वर्ण की परिभाषा
वर्ण हिंदी भाषा की सबसे लघुत्तम इकाई होती है। वर्ण को हिंदी में अक्षर कहा जाता है। यदि हम वर्ण की परिभाषा को सरल रूप में समझे तो मौखिक ध्वनियों को व्यस्त करने वाले चिन्हो को वर्ण कहा जाता है। वर्ण, भाषा की सबसे छोटी इकाई होती है, जैसे – अ, ई, व, च, आदि।
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वर्ण के कितने भेद होते हैं (varn ke kitne bhed hote hain)
वर्ण के दो भेद होते है। 1. स्वर 2. व्यंजन। हिंदी वर्णमाला को पढ़ते समय इन वर्णो को दो प्रकार से पढ़ा जाता है। जैसे – अ, आ, इ, ई, क, ख, ग, घ, आदि। स्वर और व्यंजन के अलग – अलग उपभेद होते है।
- स्वर।
- व्यंजन।
स्वर
स्वर उन वर्णो को कहा जाता है, जिनका उच्चारण करने में किसी अन्य वर्णो की जरूरत नहीं पढ़ती है, जैसे – अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, ये कुछ ऐसे वर्ण है, जिनका उच्चारण करने में किसी दूसरे वर्ण की आवश्यकता नहीं होती है। स्वर वर्ण के तीन भेद होते है, जिनके बारे में हमने निचे बताया हुआ है :-
- ह्रस्व स्वर।
- दीर्घ स्वर।
- प्लुत स्वर।
ह्रस्व स्वर
ह्रस्व स्वर ऐसे वर्णो को कहा जाता है, जिनके उच्चारण में कम से कम समय लगता है, जैसे – अ, इ, उ, ऋ इन स्वरों को मूल स्वर भी कहा जाता है, या हम यह भी कह सकते है, की ह्रस्व स्वर को ही मूल स्वर कहा जाता है।
दीर्घ स्वर
दीर्घ स्वर उन स्वरों को कहा जाता है, जिनके उच्चारण में अधिक समय लगता है, जैसे – आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ इन स्वरों के उच्चारण में ह्रस्व स्वर की तुलना में अधिक समय लगता है। दीर्घ स्वर में दो मात्राएँ होती है।
प्लुत स्वर
प्लुत स्वर उन स्वरों को कहा जाता है, जिनको उच्चारण करने में दीर्घ स्वर से भी अधिक समय लगता है, या हम कह सकते है, की ऐसे स्वर जिनका उच्चारण करने में हमें दीर्घ स्वर से भी अधिक समय लगता हो प्लुत स्वर कहलाते है, ज्यादातर हिंदी भाषा में प्लुत स्वर का प्रयोग ज्यादातर नहीं किया जाता है। लेकिन आपको हम बता दे की प्लुत स्वर का वैदिक भाषा में स्थान होता है, इसका उदहारण कुछ इस प्रकार है :- ओउम, राउम आदि।
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व्यंजन
वर्ण के कितने भेद होते हैं (varn ke kitne bhed hote hain) में दूसरा भेद व्यंजन होता है, व्यंजन उन वर्णो को कहा जाता है, जिनका उच्चारण स्वर वर्ण की सहायता के बिना नहीं किया जा सकता है। सरल भाषा में यह कहा जा सकता है, की स्वर्ण वर्ण की सहायता से बोले जाने वाले वर्णो को व्यंजन वर्ण कहा जाता है। इसके उदाहरण कुछ इस प्रकार है :- क, ख, ग, घ, ये कुछ ऐसे वर्ण होते है, जिनका उच्चारण हम स्वर वर्ण के बिना नहीं कर सकते है।
इसलिए इन वर्णो को व्यंजन वर्ण के अंतर्गत आते है, क्योकि यदि हम इन वर्णो का उच्चारण करते है, तो हमें इन वर्णो के साथ में स्वर वर्ण की आवश्यकता लगती है, जैसे – क + अ = क, इस वर्ण में आप देख रहे होंगे की वर्ण के उच्चारण के लिए हमें अ की आवश्यकता लगती है। हिंदी वर्ण माला में 33 व्यंजन होते है। व्यंजन वर्ण के तीन भेद होते है :-
- स्पर्श व्यंजन।
- उष्म व्यंजन।
- अंतः स्थ व्यंजन।
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Conclusion
हमने आपको आज के इस ब्लॉग वर्ण के कितने भेद होते हैं (varn ke kitne bhed hote hain) में वर्ण के बारे में सारी जरूरी जानकारी जैसे – वर्ण की परिभषा के बारे में, वर्ण के बारे में, स्वर वर्ण और व्यंजन वर्ण किसे कहते है, और भी बहुत सारी जानकारी इस ब्लॉग वर्ण के कितने भेद होते हैं (varn ke kitne bhed hote hain) में हमने आपको देने की कोशिश की है, यदि आपने हमारे ब्लॉग को अच्छे से पढ़ा होगा, तो आपको हमारे ब्लॉग में वर्ण के बारे में सारी जानकारी प्राप्त हो चुकी होगी।
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